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स्टार्टअप्स के लिए फंड जुटाने के हैं ढेरों विकल्प हर गुजरते साल के साथ भारत में…

स्टार्टअप्स के लिए फंड जुटाने के हैं ढेरों विकल्प

हर गुजरते साल के साथ भारत में स्टार्टअप परितंत्र का विस्तार हो रहा है। आज सीधे कॉलेज से निकलकर आए उद्यमियों की बढ़ती संख्या से रचनात्मकता जाहिर होती है, जो यह मानते हैं कि चुनौतोयों को अवसरों में बदलना सफलता की सीढ़ी है। वे जोखिम उठाने और उद्मशीलता की राह पर चलने के लिए तत्पर है। इस सफर के सबसे जरूरी साथियों में से एक है पूँजी।

अधिकांश उद्दमी जिस चीज से शुरु करते हैं उसे आमतौर पर एफएफएफ फंडिगं कहा जाता है – यानी फ्रेंड्स, फैमिली और फूल्स। यह अपेक्षाकृत तेज तरीका है। बेहद शुरुआती चरण में होने वाली फंडिंग के अन्य रूपों को सीड राउंड, एंजेल फंडिंग और इन्क्यूबेशन भी कहा जाता है। जैसे –जैसे व्यवसाय संवरने लगता है, तो और भी पूँजी की दरकार हो सकती है, इसलिए ज्यादा संस्थागत निधियन स्त्रोतों की जरुरत हो सकती है। इन राउंड के लिए प्री-सीरीज ए, सीरीज ए, सीरीज बी, सीरीज सी और वर्णमाला के क्रम में आने वाले इसी तरह के अन्य नाम होते हैं। कभी-कभी, बीच के छोटे फंडिंग राउंड के लिए पैसे जुटाए जाते हैं, जिसे ब्रिज राउंड कहा जाता है। इसमें फंड आमतौर पर मौजूदा निवेशकों से जुटाया जाता है। अंततः भारत ने हाल के वर्षों में वेंचर ऋण का आगमन भी देखा है,जिसका वास्तविक अर्थ, स्टार्टअप के लिए कर्ज के रूप में फंडिग। इन तमाम फंडिंग के स्रोत अलग-अलग/ कई तरह के हो सकते हैः

1.बिजनेस इन्क्यूबेटर- बिजनेस इन्क्यूबेटर स्टार्टअप को प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण, तकनीकी सेवाएं, टेक्नोलॉजी सपोर्ट या ऑफिस की जगह जैसी सेवाएँ देकर फलने-फूलने में मदद करते हैं। कभी –कभी वे स्टार्टअप में हिस्सेदारों के बदले थोड़ी बहुत फंडिंग भी करते हैं। सफल इनक्यूबेटर अगले दौरा का फंड जुटाने में भी मदद करते हैं। भारत में ढेर सारे इन्क्यूबेटर विकसित हुए हैं जिनमें आईआईटी और आईआईएम जैसे कुछ सबसे जाने-माने शिक्षण संस्थाएँ भई शामिल हैं। हर इनक्यूबेटर की अपनी आवेदन प्रक्रिया और चयन मानदंड होते हैं, जिनके बारे में सामान्यतः उनकी वेबसाइट पर विस्तृत होता है।

2.एंजेल इन्वेस्टरःएंजेल इन्वेस्टिंग किसी स्टार्टअप की विनिमेय (कन्वर्टिबल) ऋण या मालिकाना इक्विटी के बदले में पूंजी उपलब्ध, कराती है। एंजेल इन्वेस्टर उद्यमी, प्रोफेशनल, उद्योगपति या निवेशक जैसे समृद्ध व्यक्ति होते हैं। वे हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई), या फिर फैमिली ऑफिसेज (एफओएस) या व्यक्तिगत नेटवर्क अथवा एंजेल नेटवर्क के चरिए निवेश करने वाले लोग हो सकते हैं। एंजेल नेटवर्क दरअसल ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जो स्टार्टअप फंडिंग में दिलचस्पी तो रखते है, लेकिन जोखिम लेने और फाइनेंसिंग करने का उनका व्यक्तिगत माद्दा या निवेश करने के लिए शायद उपयुक्त न हो। और यही कारण है कि वे समूह के रूप में जुड़ने की इच्छा रखते हैं। आमतौर पर एंजेल इन्वेस्टर उद्मियों के साथ अपनी विशेषज्ञता और सलाह करने तथा स्टार्टअप को विकसित होने में मदद करने के लिए अपने नेटवर्क को प्रकट करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। उनसे सीधे संपर्क किया जा सकता है।

3. क्राउडफंडिंग पोर्टल- क्राउडफंडिंग पोर्टल पश्चिम में ज्यादा प्रचलित है। ये ऐसे प्लेटफार्म हैं जो बड़ी संख्या में लोगों से छोटे –छोटे योगदान जुटाने में मदद करते हैं। ये निवेशकों और उद्दमियों को एक साथ लाने के सोशल मीडिया और क्राउडफंडिंग वेबसाइटों का इस्तेमाल करते हैं। भारत में इक्विटी आधारित क्राउटफंडिंग गैरकानूनी है।

4. वेंचर कैपिटल (वीसी) फंड- वीसी फंड दरअसल स्टार्टअप में निवेश के लिए एक ढांचागत तरीके से निवेशकों से धन इकट्ठा करने के साधन हैं। भारत में विभिन्न फंडिंग चरणों में निवेश करने वाले वीसी फंडों की एक बड़ी संख्या है। सीड फंड से लेकर प्री-सीरीज ए में विशेषज्ञता रखने वाले फंड और सीरीज ए व उससे आगे के लिए फाइनेन्स उपलब्ध कराने वाले फंड्स तक, वीसी फंड्स की लंबी-चौड़ी कतार मौजूद हैं, जिन्हें मजबूत टीमों और विकास की संभावना वाले आशाजनक स्टार्टअप की तलाश होती है। इन फंड्स को फंड मैनेजर कहे जाने वाले लोगों की एक टीम संचालित करती है। आमतौर पर ये लोग स्टार्टअप की देखभाल और प्रोत्साहन का अनुभव रखते हैं। हर वीसी फंड का नए स्टार्टअप से जुड़ने का अपना प्रोग्राम होता है। वे आमतौर पर निवेश सलाहकारों के साथ काम करते हैं, लेकिन उनसे सीधे संपर्क किया जाना भी संभव है। एक अच्छा वीसी फंड मैनेजर आमतौर पर उद्यमी को रणनीति, लोगों, मार्केटिंग और ग्राहक, अर्जित करने, प्रशासन और आगे धन जुटाने सहित सभी मोर्चों पर व्यवसाय खड़ा करने में सहायता देता है।

5. वेंचर ऋण-अपेक्षाकृत हालिया वेंचर ऋण ऐसे स्टार्टअप के लिए तेजी से एक विकल्प बन गया है, जिसे पूँजी की जरुरत तो है, लेकिन वह पहले से ही खंडित कैप टेबल या कमजोर शेयरहोल्डिंग को उलझाने से हिचक रहा है। वेंचर ऋण आमतौर पर उन स्टार्टअफ्स के लिए होता है। जिनकी कुछ तरक्की हो चुकी है और जो नकदी प्रवाह पैदा कर रहे हैं। वेंचर ऋण प्राप्त करने के लिए मौजूदा निवेशकों की गुणवत्ता सामान्यतः एक महत्वपूर्ण मानदंड है और इसके लिए मौजूदा निवेशकों के साथ मिलकर प्रयास करना सबसे अच्छा होता है।

6. रणनीतिक निवेशक और कॉर्पोरेट वेंचर फंड-रणनीतिक निवेशक और कॉर्पोरेट वेंचर फंड वे कॉर्पोरेट्स/बिजनेस हैं, जो अपने मुख्य व्यवसाय के लिए अर्जित होने वाली सहक्रिया (सिनर्जी) और /या लाभ के प्रयोजन से निवेश करना चाहते हैं। कई तकनीकि कंपनियों ने तकनीकि विकास के साथ कदम मिलाकर चलते रहने के लिए अपनी स्वयं की वेंचर शाखाएँ बनाई हैं। इन निवेशकों से संपर्क करना मौजूदा निवेशकों और सलाहकारों के माध्यम से और सीधे तौर पर भी मुमकिन हैं।

7. हेज फंड, पेंशन फंड, डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (डीएफआई) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) फंड –ये आमतौर पर बड़े निवेश राउंड्स के लिए स्त्रोत है, जो स्टार्टअप के एक निश्चित पैमाने पर पहुंच जाने के बाद जरुरी होते हैं/जुटाए जाते हैं।

इन सबके अलावा, उद्यमियों और स्टार्टअप के सहारे के लिए अन्य राहें भी मौजूद हैं। सरकार ने उद्यमशीलता का समर्थन करने के लिए कई अनुदान और योजनाएँ शुरु की हैं, जिनमें महिला उद्यमियों और ग्रामीण नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष पहलें भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, यह परितंत्र इस तरह विकसित हुआ है कि अब इसमें एक्सेलरेटर (स्टार्टअप को बढ़ने में मदद के लिए डिजाइन किए गये फोकस्ड कार्यक्रम), स्टार्टअप सलाहकार और निवेश सलाहकार भी शामिल हैं, जो उद्यमियों को मार्गदर्शन और फीडबैक देने के लिए तत्पर रहते हैं। अब जरुरत है सिर्फ एक आइडिया , एक स्वप्न और सहस की, ताकि कड़ी मेहनत से उस स्वप्न को साकार किया जा सके।

अग्रणी बैंका का एमसीएलआर (एक वर्ष का एमसीएलआर प्रतिशत में)
भारतीय स्टेट बैंक – 8.45
बैंक ऑफ इंडिया – 8.70
पंजाब नेशनल बैंक- 8.45
बैंक ऑफ बड़ौदा- 8.70
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 8.60
एचडीएफसी बैंक- 8.70
एक्सिसबैंक- 8.88
आइसीआईसीआई बैंक- 8.75
इंडसइंड बैंक- 9.85
कोटक महिन्द्रा- 8.90

एमसीएलआर मार्जिनल कॉस्टाज ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट है। यह न्यूनतम ब्याज दर है जिससे कम ब्याज दर पर बैंक उधार नहीं दे सकता है। कुछ मामलो को छोडकर जिसकी अनुमति भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दी गई है।
एमएसएमई कर्जदारों से वसूली जाने वाली ब्याज दर, लोन की राशि, अवधि , सुरक्षित /असुरक्षित स्वभाव और अन्य मानकों पर निर्भर करती है जिसे बैंक ठीक समझता है। आमतौर पर एमएसएमई कर्जदारों के लिए ब्याज दरें 11 प्रतिशत से आरंभ होती हैं।

सिडबी चाहता है कि आप बहुप्रतीक्षित एमएसई अवार्डस- 2011 के अगले संस्करण में भाग लें। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख बढाकर 30 जून 2019 कर दी गई है। अधिक जानकारी के लिए bit.ly/2K13ORP पर जाएँ।



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