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कल से MSME ग्राहक 18 बैंकों से ले सकेंगे आसानी से लोन
केंद्र सरकार ने देश के छोटे और मध्यम वर्ग के कारोबारियों खासकर एसएमएसई सेक्टर के लिए आसानी से लोन मुहैया कराने सुविधा शुरु की है। वित्त मंत्रालय की ओर से आयोचित आउटरिच पहल के तहत एमएसएमई सेक्टर के अंतर्गत आने वाले कारोबारियों के लिए बिना किसी रूकावट के लोन आवेदन कर सकेंगे। इस सुविधा का फायदा 6 जनवरी 2020 तक उठाया जा सकता है। योजना के तहत 18 बैंकों से आसानी से लोन मिल सकेगा।
इन 18 बैंकों से ले सकेंगे लोन
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, यूको बैंक, सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, ओरिएन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स, युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंड बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, आन्ध्रा बैंक, इलाहाबाद बैंक।
ग्राहकों को ऋण रियायती ब्याज दर पर मिलेगा।
चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए सरकार देगी सब्सिडी, अगले एक साल में लगेंगे 6000 चार्जर
• एक दिन में लगभग एक लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को कर सकेंगे चार्ज
• बिजली की दर बिजली आपूर्ति की लागत से 15 फीसदी तक अधिक हो सकती है
• व्यक्ति या कंपनी कोई भी लगा सकता है चार्जिंग स्टेशन
• सरकारी मदद के लिए अगस्त तक भारी उद्योग मंत्रालय में कर सकते हैं अप्लाई
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अब चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए सब्सिडी के तौर पर आर्थिक मदद देगी। यह मदद इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन से जुड़े उपकरणों की लागत पर निर्भर करेगी। चार्जिंग स्टेशन लगाने में दिलचस्पी रखने वाले कारोबारी या कंपनी भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं। पहले चरण में 1000 चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे। हर चार्जिंग स्टेशन पर 6 चार्जर होंगे। मतलब 1000 स्टेशन पर 6000 गाड़ियों को एक बार में चार्ज किया जा सकेगा। इस प्रकार एक चार्जर से 24 घंटे में कम से कम 15 गाड़ियां चार्ज हो सकेंगी क्योंकि इन स्टेशन पर कई फास्ट चार्जर होंगे। इच्छुक आवेदक 20 अगस्त तक सब्सिडी वाले चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। मंत्रालय के मुताबिक आवेदन की तारीख समाप्त होने के एक माह के भीतर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। चयनित आवेदकों को चार्जिंग स्टेशन लगाने का काम पूरा करने के लिए 9 माह का समय दिया जाएगा।
यह स्टेशन किसी निजी जमीन या सार्वजनिक जगहों पर लगा सकते हैं
सबसे अधिक चार्जिंग स्टेशन 40 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में लगाए जाएंगे। लेकिन 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले किसी भी शहर में चार्जिंग स्टेशन लगाए जा सकते हैं। यह स्टेशन किसी निजी जमीन या सार्वजनिक जगहों पर लगा सकते हैं। पब्लिक के लिए चार्जिंग स्टेशन लगाने वालों को ही सरकार से सब्सिडी मिलेगी। चार्जिंग स्टेशन लगाने वालों को ऑनलाइन सेवा भी देनी होगी। ग्राहक ऑनलाइन बुकिंग के जरिए अपने वाहन के चार्जिंग के समय को बुक कर सकेंगे। चार्जिंग स्टेशन लगाने वाला व्यक्ति या कंपनी ओपन एक्सेस के तहत किसी भी बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) से बिजली ले सकता है। बिजली कंपनियां चार्जिंग स्टेशन के लिए अपनी सप्लाई की लागत के मुकाबले 15 फीसदी अतिरिक्त चार्ज कर सकेंगी। यानी कि अगर बिजली आपूर्ति की लागत 5 रुपए प्रति यूनिट है तो चार्जिंग स्टेशन को अधिकतम 6.5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति होगी। चार्जिंग स्टेशन चालू करने के लिए ग्रीन सिगनल देने का काम डिस्कॉम करेगी।
एक चार्जिंग स्टेशन पर 6 चार्जर होंगे और इनमें से कम से कम 3 फास्ट चार्जर होंगे
मंत्रालय की शर्तों के मुताबिक एक चार्जिंग स्टेशन पर 6 चार्जर होंगे और इनमें से कम से कम 3 फास्ट चार्जर होंगे। मतलब ये आधे घंटे में आपके वाहन को चार्ज करने में सक्षम होंगे। बाकी के तीन थोड़े स्लो चार्जर होंगे। चार्जिंग स्टेशन के तीन प्रकार होंगे। पहली श्रेणी में सार्वजनिक स्थान पर कमर्शियल इस्तेमाल के लिए लगने वाले चार्जिंग स्टेशन होंगे। दूसरी श्रेणी में मंत्रालय, सचिवालय, सरकारी अस्पताल व अन्य सरकारी भवनों में लगने वाले स्टेशन होंगे जो सिर्फ उस परिसर में आने जाने वाले वाहनों को चार्ज करने के लिए होंगे। तीसरी श्रेणी में गैर सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाने वाले चार्जिंग स्टेशन होंगे जो पब्लिक के लिए कमर्शियल तरीके से उपलब्ध होंगे। सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी इस बात पर निर्भर करेगी कि किस श्रेणी में चार्जिंग स्टेशन लगाया जा रहा है।
शुरू करें अपना CNG पंप या EV चार्जिंग स्टेशन, पहले दिन से होने लगेगी कमाई
बिजनेस शुरू करने की सोच रहे लोगों के लिए अच्छा मौका है. ऐसे लोग CNG पंप या इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग प्वाइंट शुरू कर सकते हैं. अच्छी बात यह है कि कारोबार शुरू करने के पहले दिन से ही कमाई की जा सकती है. CNG पंप के कारोबार में लाखों कमाने का विकल्प है. दरअसल, सहज भारत योजना के तहत Nexgen Energia Limited अपने विस्तार के लिए डीलर्स बना रही है. कंपनी अपने प्लान के तहत सीएनजी पंप, इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन, सीएनजी गैस उत्पादन प्लांट लगाने Know more to click below:
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ICICI बैंक का ऐप, डाउनलोड करते ही MSMEs को 15 लाख तक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी
आईसीआईसीआई बैंक ने छोटे कारोबारियों यानी एमएसएमई और सेल्फ इम्प्लॉयड लोगों के लिए एक खास ऐप इंस्टाबिज (InstaBIZ) लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से बैंक के 115 प्रोडक्ट्स और सर्विसेस हासिल की जा सकती हैं। इसके साथ ही एमएसएमई को 15 लाख रुपए तक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी दी गई है, जो उन्हें ऐप डाउनलोड करते ही मिल जाएगी। इसे एमएसएमई के लिए भारत का सबसे ज्यादा व्यापक डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म बताया जा रहा है।
एक ही जगह मिलेंगी 115 प्रोडक्ट्स और सर्विसेस
आईसीआईसीआई बैंक ने एक बयान जारी कर कहा कि यह ऐप मोबाइल फोन या इंटरनेट बैंकिंग प्लेटफॉर्म पर बेहद सुरक्षित ऐप है। इस ऐप पर एक ही जगह पर 115 प्रोडक्ट्स और सर्विसेस हासिल की जा सकती हैं। इसके साथ ही एमएसएमई के लिए बिजनेस आसान हो सकता है और उनकी उत्पादकता बढ़ सकती है, क्योंकि वे बिना बैंक ब्रांच जाए अपने बैंकिंग ट्रांजैक्शंस को पूरा कर सकते हैं।
मिलेगी 15 लाख तक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी
इसमें कारोबारियों के लिए तमाम सुविधाएं ऑफर की गई हैं, जिसमें सबसे खास है ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी। इसके तहत कारोबारियों को यह ऐप डाउनलोड करते ही तुरंत 15 लाख रुपए तक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी मिल जाएगी।
जीएसटी का इंस्टैंट पेमेंट
इसके अलावा बिजनेस लोन, डिजिटल मोड्स से आसान बल्क फंड कलेक्शन और पेमेंट, ऑटोमैटिक बैंक रिकॉन्सिलेशन और बड़े एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट ट्रांजैक्शन शामिल हैं। इसके अलावा यह ऐसा पहला डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म है, जिस पर सिंगल क्लिक पेमेंट में चालान नंबर के इस्तेमाल से जीएसटी का इंस्टैंट पेमेंट संभव होगा। वहीं कारोबारी प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन के साथ ही मैरीन इन्श्योरेंस पॉलिसी के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। ये दोनों ही इंडस्ट्री में पहली सर्विसेस है।
आईसीआईसीआई बैंक में नहीं है खाता तो भी कर सकते हैं डाउनलोड
इसके अलावा एमएसएमई आईसीआईसीआई बैंक में खाता नहीं होने पर भी इस ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं और इस सॉल्युशन का लाभ उठा सकते हैं। मुख्य बात यह है कि वे अपनी बैंक स्टेटमेंट और केवाईसी डिटेल्स अपलोड करके आसानी से 10 लाख रुपए तक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ले सकते हैं। वे करंट अकाउंट के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं।
CROWD FUNDING
भारत में Small and Medium Business (SMB) क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है और बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में योगदान दे रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 37% का योगदान है और साथ ही Industry व Service Sector में सबसे ज़्यादा रोजगार भी दिया है। भारत में 633 लाख MSME हैं जो लगभग 11.10 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। यह जरूरी है कि सरकार SMB’s को सशक्त बनाने की ओर ध्यान दे। साथ ही वित्तीय संस्थानों को उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराना होगा।
ऐसी कई योजनाएं हैं जिनका मकसद SMB's की फाइनेंशियल मदद करना है, उन्हीं में से एक है Crowd-Funding जो छोटे बिजनेसेज द्वारा स्केलेबिलिटी बढ़ाने के लिए अपनाया जा रहा है। Crowd-Funding में बिजनेस के लिए कई इन्वेस्टर्स से छोटी-छोटी धन-राशि ई-प्लेटफॉर्म्स या सोशल प्लेटफॉर्म्स के जरिये जुटाई जाती है। आज कल MSME की फ़ाइनेंसिंग को बढ़ाने के लिए ये एक ट्रेंड बन गया है। Crowd-Funding मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती हैं: डोनेशन, रिवार्ड, पीयर-टू-पीयर लेंडिंग और इक्विटी। आइए इन सभी क्राउडफंडिंग के तरीकों पर नज़र डालें और जानें कि वे किस तरह छोटे व मझोले व्यवसायों को सही तरह से बढ़ने में मदद कर सकते हैं:
1. Donation crowd-funding: इस प्रकार की क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल अक्सर सामाजिक उद्देश्य या किसी की सहायता के लिए किया जाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति या संस्थान पैसे डोनेट कर सकता है। हालांकि डोनेट करने वालों को रिटर्न के रूप में कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता है।
2. Reward crowd-funding: इस तरह की क्राउडफंडिंग में पैसा देने वाले निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से फ़ायदा मिलता है। ये लाभ तत्काल या भविष्य के हो सकते हैं, जैसे: ग्राहक, आजीवन सदस्यता या कुछ मुफ्त उपहार के रूप में।
3. Peer-to-Peer Lending: Peer-to-peer lending, also abbreviated as P2P lending, is the practice of lending money to individuals or businesses through online services that match lenders with borrowers. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके दो व्यक्तियों के बीच पैसे का लेन-देन सुनिश्चित किया जाता है। इसमें, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म ऋणदाताओं और निवेशकों का SMBs से मेल कराया जाता है जिसमें कर्ज़ की राशि और ब्याज दरें प्लेटफ़ॉर्म द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं। हालांकि, इसमें रेगुलेटर्स के लिए निवेशकों को सुरक्षा देना बड़ी चुनौती है।
Debt crowd-funding निवेशकों को आपके निवेश पर वित्तीय ब्याज के बदले में आपकी परियोजना को निधि देने का मौका प्रदान करता है। यह वित्त विकल्प आपको बैंक से ऋण के लिए आवेदन करने की पेशकश की तुलना में कम कीमत पर उधार लेने की सुविधा प्रदान कर सकता है। इस मॉडल का लाभ यह है कि किसी अभियान के लिए समर्थन जीतना आसान हो सकता है, क्योंकि बैकर्स रिटर्न पाने के लिए आकर्षित होते हैं। इस प्रकार की क्राउड-फंडिंग राजस्व के ट्रैक-रिकॉर्ड वाले व्यवसायों के लिए सबसे अच्छा काम कर सकती है।
4. Equity crowd-funding: इस तरह की फंडिंग कंपनी के इक्विटी शेयरों के बदले में की जाती है। इसमें ऑनलाइन किए गए निवेश के एवज में निवेशकों को तय संख्या में कंपनी के इक्विटी शेयर मिलेंगे। यह क्राउडफंडिंग ऐसे क्षेत्रों में सक्रिय कंपनियों के लिए कारगर हो सकती है, जहां रिटर्न मिलने की खासी संभावना हो। क्राउडफंडिंग न केवल स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता देने में मदद करता है, बल्कि लोगों को अपने बिज़नेस के पारंपरिक मॉडल को सुव्यवस्थित करने के अवसर भी देता है। आमतौर पर, उद्यमी को अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं को ठीक करने में काफी समय लगता है। क्राउडफंडिंग के जरिये वो संभावित निवेशकों से मिलकर अपने बिजनेस को बेहतर ढंग से एक्सप्लोर कर सकते हैं, जो उनके बिजनेस को विकसित करने में काफी सहायक होता है।
Crowd-Funding ही क्यों? किसी भी नई तकनीक को अपनाने से पहले हर व्यक्ति इसके फायदों के बारे में जानना चाहता है और इसीलिए हम यहां आपको व्यवसाय के लिए क्राउडफंडिंग चुनने के फायदों के बारे में बता रहे हैं:
1. वित्तीय सलाह के लिए आसान पहुंच: क्राउडफंडिंग पोर्टल्स की मदद से आप सर्टिफ़ाइड फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स से भी जुड़ सकते हैं जो बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी आर्थिक फैसले लेने में आपकी सहायता व मार्गदर्शन करते हैं।
2. पीआर और मार्केटिंग: आमतौर पर बिजनेस का प्रचार व प्रसार काफी मुश्किल होता है लेकिन क्राउडफंडिंग के जरिये ये मुश्किल भी आसानी से हल हो सकती है। स्टार्ट-अप्स को अक्सर मार्केट में खुद को प्रोमोट करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन क्राउडफंडिंग आपको अपने बिजनेस के बारे में "शोर करने" का अवसर प्रदान करता है जिसे मार्केटिंग की भाषा में "make noise" भी कहते हैं।
3. कॉन्सेप्ट का औचित्य: अपने व्यवसाय को शुरू करने से पहले लोगों के सामने अपने कारोबार के बारे में बताकर आपको अपनी मार्केटिंग की रणनीतियों के साथ तमाम प्रयोग करने के मौके मिलते हैं। क्राउडफंडिंग कारोबारियों के लिए जांच, आकलन और बदलाव करने का मंच है, जिससे व्यवसाय में बेहतर परिणाम मिलने की संभावनाएं बढ़ती हैं।
4. शून्य निवेश: अतिरिक्त खर्च के बिना भी आपको कई फ़ायदे देने वाली क्राउडफंडिंग आपके बिजनेस के लिए फाइनेंसेज़ जुटाने का एक शानदार तरीका है। आमतौर पर क्राउडफंडिंग को नॉन-प्रॉफ़िट और सामाजिक हित में काम करने वाले उद्यमियों के लिए एक फ़ाइनेंशियल सोर्स के रूप में देखा जाता है, वहीं इनसे अलग कुछ ऐसे भी स्टार्ट-अप हैं जिन्हें इस तकनीक के माध्यम से काफी फ़ायदा हुआ है। भारत के कुछ शीर्ष क्राउडफंडिंग वेंचर्स हैं जिन्होंने कई उद्यमियों के सपनों का समर्थन किया है जैसे Ketto, Catapoolt, BitGiving, ImpactGuru, आदि।
सरकार के डिजिटल इंडिया पर जोर देने के साथ ही भविष्य में निश्चित रूप से crowd-funding व्यावसायिक वित्तपोषण का मुख्य स्रोत बनने जा रहा है, जिसका फायदा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को मिलेगा। नवीनतम तकनीक को अपनाने व पूरी तरह से डिजिटल होने के साथ ही MSME को फंड इनफ़्लो से जुड़े गंभीर फैसले लेने की भी ज़रूरत है। छोटे और मध्यम व्यापार की मदद के लिए क्राउडफंडिंग के कई ऑप्शन्स मौजूद हैं लेकिन ज़रूरी है कि उद्यमी इन अवसरों का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग करें और अपने बिजनेस के लिए फ़ाइनेंशियल मदद पा सकें। क्राउडफंडिंग मॉडल में, सभी बिज़नेस से ये उम्मीद की जाती है कि वे नई तकनीक और लगातार बदल रहे मार्केटिंग नॉर्म्स को अपनाएं। इसके साथ ही, शीर्ष पर बने रहने के लिए ज़रूरी है कि MSME अपने डिजिटल व्यवहार को बदलने में भी न हिचकिचाएं।
Floating Rate Home Loans
Floating rate home loans recently got a makeover, as the SBI, REPO RATE. So far, all floating rate loans offered by SBI were linked to Marginal Cost of Fund Based Lending Rate (MCLR).
Now, you will have the option to choice loans linked to either repo rate or MCLR Though the home loan is linked to repo rate, you will not get the loan at repo rate. Repo rate, the key policy rate, is the rate at which the central bank lends to commercial bank.
SBI is the first bank to link it to REPO rate. Here are three things you should know about the product.
At present, the REPO Rate is at 5.75%. However, you will not get a loan at this rate. The home loan-linked to repo rate is actually in sync with REPO RATE-LINKED LENDING RATE (RLLR), a rate linked with REPO and a margin of 2.25%. Hence, the RLLR is 8% currently. Also you have a spread above the RLLR—40-55 basis points (bps). One bps is one-hundredth of a percentage point. Hence, you will get the loan at 8.40-8.55% per annum for a loan up to ₹75 lakh. In case you take a loan linked to MCLR, you will get the loan at 8.55%-9.10% depending on factors such as gender and employment status. A 15 bps difference on a ₹30 lakh loan for 20-year tenure means a saving of around ₹70,000.
If income below ₹6 lakh, you can’t avail it
To begin with, the bank has put an income cap of ₹6 lakh per annum for individuals seeking to avail the repo rate-linked loans. Moreover, in case the loan-to-value (LTV) is greater than 80%, you will be charged 20 bps higher as interest rate. The bank will also take your credit score into account while giving you the loan. Hence, the interest rate will increase if your credit score is not good. In case of repayment, you have to pay a minimum 3% of the principal loan amount every year in equated monthly installments (EMI).
INTEREST RATE LIKELY TO BE VOLATILE
Unlike MCLR, where you have a one-year and six-month reset clause, here you are likely to see immediate impact on your loan rate in case of any change in the repo rate. You have the option to leave your EMI constant while your tenure is set to fluctuate depending on the loan rate. If you are not comfortable with the repo rate-linked home loan product, the bank gives you an option to switch to MCLR-linked home loan rate.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए 2.5 लाख और घरों को मिली मंजूरी
शहरी गरीबों को आवास देने के उद्देश्य से चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी (पीएमएवाईयू) की केंद्रीय स्वीकृति सह निगरानी समिति (सीएसएमसी) की शुक्रवार को बैठक हुई। हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 10 राज्यों में इस योजना के तहत 2.5 लाख से ज्यादा और घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई। इसके साथ इस योजना में अब तक 83.62 लाख घरों के निर्माण को मंजूरी मिल चुका है।
2.5 लाख नए घरों में से उत्तर प्रदेश को 1.38 लाख नए घर बनाने की मंजूरी मिली है। इन 2.5 लाख घरों के निर्माण पर करीब 11,373 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसमें से 3766 करोड़ रुपए का योगदान केंद्र सरकार करेगी।