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CROWD FUNDING भारत में Small and Medium Business (SMB) क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा…

CROWD FUNDING

भारत में Small and Medium Business (SMB) क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है और बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में योगदान दे रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 37% का योगदान है और साथ ही Industry व Service Sector में सबसे ज़्यादा रोजगार भी दिया है। भारत में 633 लाख MSME हैं जो लगभग 11.10 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। यह जरूरी है कि सरकार SMB’s को सशक्त बनाने की ओर ध्यान दे। साथ ही वित्तीय संस्थानों को उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराना होगा।

ऐसी कई योजनाएं हैं जिनका मकसद SMB's की फाइनेंशियल मदद करना है, उन्हीं में से एक है Crowd-Funding जो छोटे बिजनेसेज द्वारा स्केलेबिलिटी बढ़ाने के लिए अपनाया जा रहा है। Crowd-Funding में बिजनेस के लिए कई इन्वेस्टर्स से छोटी-छोटी धन-राशि ई-प्लेटफॉर्म्स या सोशल प्लेटफॉर्म्स के जरिये जुटाई जाती है। आज कल MSME की फ़ाइनेंसिंग को बढ़ाने के लिए ये एक ट्रेंड बन गया है। Crowd-Funding मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती हैं: डोनेशन, रिवार्ड, पीयर-टू-पीयर लेंडिंग और इक्विटी। आइए इन सभी क्राउडफंडिंग के तरीकों पर नज़र डालें और जानें कि वे किस तरह छोटे व मझोले व्यवसायों को सही तरह से बढ़ने में मदद कर सकते हैं:
1. Donation crowd-funding: इस प्रकार की क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल अक्सर सामाजिक उद्देश्य या किसी की सहायता के लिए किया जाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति या संस्थान पैसे डोनेट कर सकता है। हालांकि डोनेट करने वालों को रिटर्न के रूप में कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता है।
2. Reward crowd-funding: इस तरह की क्राउडफंडिंग में पैसा देने वाले निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से फ़ायदा मिलता है। ये लाभ तत्काल या भविष्य के हो सकते हैं, जैसे: ग्राहक, आजीवन सदस्यता या कुछ मुफ्त उपहार के रूप में।
3. Peer-to-Peer Lending: Peer-to-peer lending, also abbreviated as P2P lending, is the practice of lending money to individuals or businesses through online services that match lenders with borrowers. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके दो व्यक्तियों के बीच पैसे का लेन-देन सुनिश्चित किया जाता है। इसमें, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म ऋणदाताओं और निवेशकों का SMBs से मेल कराया जाता है जिसमें कर्ज़ की राशि और ब्याज दरें प्लेटफ़ॉर्म द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं। हालांकि, इसमें रेगुलेटर्स के लिए निवेशकों को सुरक्षा देना बड़ी चुनौती है।

Debt crowd-funding निवेशकों को आपके निवेश पर वित्तीय ब्याज के बदले में आपकी परियोजना को निधि देने का मौका प्रदान करता है। यह वित्त विकल्प आपको बैंक से ऋण के लिए आवेदन करने की पेशकश की तुलना में कम कीमत पर उधार लेने की सुविधा प्रदान कर सकता है। इस मॉडल का लाभ यह है कि किसी अभियान के लिए समर्थन जीतना आसान हो सकता है, क्योंकि बैकर्स रिटर्न पाने के लिए आकर्षित होते हैं। इस प्रकार की क्राउड-फंडिंग राजस्व के ट्रैक-रिकॉर्ड वाले व्यवसायों के लिए सबसे अच्छा काम कर सकती है।

4. Equity crowd-funding: इस तरह की फंडिंग कंपनी के इक्विटी शेयरों के बदले में की जाती है। इसमें ऑनलाइन किए गए निवेश के एवज में निवेशकों को तय संख्या में कंपनी के इक्विटी शेयर मिलेंगे। यह क्राउडफंडिंग ऐसे क्षेत्रों में सक्रिय कंपनियों के लिए कारगर हो सकती है, जहां रिटर्न मिलने की खासी संभावना हो। क्राउडफंडिंग न केवल स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता देने में मदद करता है, बल्कि लोगों को अपने बिज़नेस के पारंपरिक मॉडल को सुव्यवस्थित करने के अवसर भी देता है। आमतौर पर, उद्यमी को अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं को ठीक करने में काफी समय लगता है। क्राउडफंडिंग के जरिये वो संभावित निवेशकों से मिलकर अपने बिजनेस को बेहतर ढंग से एक्सप्लोर कर सकते हैं, जो उनके बिजनेस को विकसित करने में काफी सहायक होता है।

Crowd-Funding ही क्यों? किसी भी नई तकनीक को अपनाने से पहले हर व्यक्ति इसके फायदों के बारे में जानना चाहता है और इसीलिए हम यहां आपको व्यवसाय के लिए क्राउडफंडिंग चुनने के फायदों के बारे में बता रहे हैं:
1. वित्तीय सलाह के लिए आसान पहुंच: क्राउडफंडिंग पोर्टल्स की मदद से आप सर्टिफ़ाइड फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स से भी जुड़ सकते हैं जो बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी आर्थिक फैसले लेने में आपकी सहायता व मार्गदर्शन करते हैं।
2. पीआर और मार्केटिंग: आमतौर पर बिजनेस का प्रचार व प्रसार काफी मुश्किल होता है लेकिन क्राउडफंडिंग के जरिये ये मुश्किल भी आसानी से हल हो सकती है। स्टार्ट-अप्स को अक्सर मार्केट में खुद को प्रोमोट करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन क्राउडफंडिंग आपको अपने बिजनेस के बारे में "शोर करने" का अवसर प्रदान करता है जिसे मार्केटिंग की भाषा में "make noise" भी कहते हैं।
3. कॉन्सेप्ट का औचित्य: अपने व्यवसाय को शुरू करने से पहले लोगों के सामने अपने कारोबार के बारे में बताकर आपको अपनी मार्केटिंग की रणनीतियों के साथ तमाम प्रयोग करने के मौके मिलते हैं। क्राउडफंडिंग कारोबारियों के लिए जांच, आकलन और बदलाव करने का मंच है, जिससे व्यवसाय में बेहतर परिणाम मिलने की संभावनाएं बढ़ती हैं।
4. शून्य निवेश: अतिरिक्त खर्च के बिना भी आपको कई फ़ायदे देने वाली क्राउडफंडिंग आपके बिजनेस के लिए फाइनेंसेज़ जुटाने का एक शानदार तरीका है। आमतौर पर क्राउडफंडिंग को नॉन-प्रॉफ़िट और सामाजिक हित में काम करने वाले उद्यमियों के लिए एक फ़ाइनेंशियल सोर्स के रूप में देखा जाता है, वहीं इनसे अलग कुछ ऐसे भी स्टार्ट-अप हैं जिन्हें इस तकनीक के माध्यम से काफी फ़ायदा हुआ है। भारत के कुछ शीर्ष क्राउडफंडिंग वेंचर्स हैं जिन्होंने कई उद्यमियों के सपनों का समर्थन किया है जैसे Ketto, Catapoolt, BitGiving, ImpactGuru, आदि।

सरकार के डिजिटल इंडिया पर जोर देने के साथ ही भविष्य में निश्चित रूप से crowd-funding व्यावसायिक वित्तपोषण का मुख्य स्रोत बनने जा रहा है, जिसका फायदा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को मिलेगा। नवीनतम तकनीक को अपनाने व पूरी तरह से डिजिटल होने के साथ ही MSME को फंड इनफ़्लो से जुड़े गंभीर फैसले लेने की भी ज़रूरत है। छोटे और मध्यम व्यापार की मदद के लिए क्राउडफंडिंग के कई ऑप्शन्स मौजूद हैं लेकिन ज़रूरी है कि उद्यमी इन अवसरों का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग करें और अपने बिजनेस के लिए फ़ाइनेंशियल मदद पा सकें। क्राउडफंडिंग मॉडल में, सभी बिज़नेस से ये उम्मीद की जाती है कि वे नई तकनीक और लगातार बदल रहे मार्केटिंग नॉर्म्स को अपनाएं। इसके साथ ही, शीर्ष पर बने रहने के लिए ज़रूरी है कि MSME अपने डिजिटल व्यवहार को बदलने में भी न हिचकिचाएं।


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